उत्तराखंड में युवाओं को रोजगार देना हर सरकार के लिए बड़ा सरदर्द है। और पहाड़ो में रोजगार ना मिलने के चलते अपना गाँव छोड़ युवा पलायन कर रहे है ।जिससे पलायन की समस्या हर साल विकराल रुप ले रही है । लेकिन एक इंडस्ट्री ऐसी है जो कि पहाड़ में रोजगार के द्वार खोल सकती है । सबसे खास बात ये है कि इस इंडस्ट्री से ना प्रदूषण पैदा होता है और ना ही इसमें भारी भरकम मशीनों का ही उपयोग होता है । मैडिकल कैनाबिस इंडस्ट्री एक ऐसा ही उघोग है जो, कि पाहड़ के युवओं के लिए रोजगार के द्वार तो खोल ही देगा साथ ही प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बूस्टर प्रदान करेगा ।
क्या होता है मैडिकल कैनाबिस
कैनाबिस मतलब भांग या हैंप और मैडिकल कैनाबिस का मतलब जब भांग का उपयोग गैर मादक और औघोगिक प्रयोजनों के लिए किया जाता है । मैड़िकल कैनाबिस के जरिए आज विश्व भर में जटिल बिमारियों का इलाज किया जा रहा है । कैंसर जैसी बिमारी कैनाबिस से बनी दवाईयों का उपयोग किय जा रहा है । इसकी खेती के लिए विशेष तकनीक औऱ संयमित वातावरण चाहिए होता है । इसका पौधा लैब में तैयार किया जाता है ।भांग के पौधे के फूल से दवाईयाँ बनाई जाती है । बिमारियों के इलाज के लिए परंपरागत रुप से भांग का उपयोग भारत और खास तौर पर उत्तराखण्ड़ में होता रहा है।
मौजूदा स्थति क्या है
उत्तराखण्ड़ देश का पहला राज्य है जहाँ भांग के व्यवसायिक उपयोगा को अनुमति प्रदान की गई है । साल 2018 में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ये मजबूत निर्णय लिया । लेकिन उनके जाने के बाद इस दिशा में बहुत ज्यादा काम नहीं हुआ। त्रिवेंद्र रावत सरकार ने जिस समय यह निर्णय लिया उस समय उनका काफी विरोध किया गया हालांकि वो अपने निर्णय के साथ खड़े रहे । और आज भी उनका कहना है कि राज्य सरकार को इस दिशा में काम करना चाहिए ।
वही पड़ोसी राज्य हिमाचल बहुत तेजी से मैडिकल कैनाबिस को मान्यात देने की तरफ आगे बढ रहा है । हाल ही भांग की खेती को वैधानिक दर्जा देने के लिए बनी समीति अमेरिका,हाँलेंड़,इजराईल और कनाडा जैसे देशों की यात्रा पर थी । इससे पहले ये समीति उत्तराखण्ड़ और मध्यप्रदेश का भी दौरा कर चुकी है । वहीं हिमाचल प्रदेश कैनाबिस से शुरुआती दौर में ही 500 करोड़ के राजस्व की उम्मीद कर रही है । हैंप नीति उत्तराखण्ड में तो अस्तितव में है। लेकिन इस नीति में मैडिकल कैनाबिस को शामिल करने के लिए कुछ बदलाव किए जाने हैं । लेकिन ये नीति सरकार द्वारा पास होने का इंतजार कर रही है । इसका बड़ा कारण ये माना जा रहा है सरकार को इस बात का डर है कि कहीं इस नीति के अस्तितव में आने से विरोधियों को सरकार पर हमला करने का एक और मौका मिल जाएगा ।