उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है। यहां कई मंदिर है जो अपने रहस्यों और पौराणिक कथाओं के लिए प्रचलित है और उन्हीं में से पौड़ी जिले में स्थित है राहु मंदिर। वैसे तो आपने देवताओं की पूजा करते हुए तो सभी जगह सुना ही होगा लेकिन उत्तराखंड के पौड़ी जिले में देवताओं के साथ असुर की भी पूजा की जाती है। जी हां, देवों की भूमि उत्तराखंड में देवों के साथ असुरों की पूजा की जाती है। ये भारत का एकमात्र मंदिर माना जाता है जहां असुर राहु की पूजा होती है। उत्तराखंड के पौड़ी जिले में कोटद्वार से लगभग 150 किमी दूर थलीसैण ब्लॉक में स्थित मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए जितना प्रसिद्ध है उतना ही भगवान शिव के साथ राहु की पूजा के लिए है। पैठाणी के इस मंदिर में भगवान शिव के साथ राहु की पूजा की जाती है। स्थानीय लोग इस शिव मंदिर को राहू के मंदिर के नाम से भी जानते हैं। दूर-दराज से लोग यहां अपने कुंडली की राहू दशा को शांत करने के लिए यहां आते हैं और विधि के अनुसार पूजा करते हैं
मंदिर के पुरोहित के अनुसार कलयुग के प्रारंभ के दौरान इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने की थी। वहीं इस मंदिर में आखिर राहू की पूजा करने की प्रथा कैसे शुरू हुई? जानिए पंचायत रिपोर्टर की इस खास रिपोर्ट में…