19 अप्रैल 2024 को हुए मतदान के बाद उत्तराखंड की पांच लोकसभाओं में से दो सीटों पर कांग्रेस को अपने लिए कुछ संभावनाऐं दिखने लगी है। जहां गढ़वाल सीट पर इमोशन पहले से ही कांग्रेस के साथ दिखाई दे रहे थे। अब मतदान के बाद हरिद्वार सीट के इक्वैशन कांग्रेस की तरफ झुके हुए नजर आ रहे हैं।
दरअसल, पूरे प्रदेश में कम मतदान ने हरिद्वार सीट को चर्चाओं में ला दिया है। हरिद्वार सीट में प्रदेश के दो जिलों की 14 विधानसभा सीटें आती है। जिसमें 11 सीटें हरिद्वार जिले की है और 3 सीटें देहरादून जिले की हैं। देहरादून जिले की धर्मपुर,ऋषिकेश और डोईवाला सीटें हरिद्वार लोकसभा में शामिल है। इस सीट के इक्वैशन को समझने के लिए सीट के वोटरों के जातीगण समीकरण समझना बेहद जरुरी है।
आपको बता दें कि इस सीट पर मुस्लिम वोटर की आबादी लगभग 30 प्रतिशत है। वहीं ओबीसी वोटरों की संख्या भी लगभग 25 से 28 प्रतिशत है। एससी वोटर 22 प्रतिशत है। बाकी सर्वण जाती के वोटर हैं। इस सीट में जिन पार्टियों के बीच सीधी टक्कर होती है, वो कांग्रेस और भाजपा है। लेकिन एक तीसरी पार्टी, बसपा ये तय करती है कि इन दोनों पार्टियों में से जीत किसकी होगी।
अब अगर चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो 2014 के चुनावों में भाजपा का वोटिंग प्रतिशत लगभग 50 प्रतिशत था। इसके बाद 2019 में प्रचंड मोदी लहर के समय भाजपा के वोट प्रतिशत में लगभग 2 प्रतिशत इजाफा होता है और 52 प्रतिशत वोट भाजपा की झोली में आते हैं। कांग्रेस 2014 से 2019 तक अपना 3 प्रतिशत का वोट शेयर खो दती है। लेकिन ठीक इसी समय बसपा के वोट बैंक में लगभग 4 प्रतिशत का उछाल आता है।
विधानसभा वार अगर बात करें तो हरिद्वार लोकसभा सीट की 14 विधानसभाओं में से 5 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं। 6 सीटों पर भाजपा 2 में बसपा जीत कर आई लेकिन फिलहाल मंगलौर सीट विधायक की मौत के बाद खाली है। वहीं एक निर्दलीय विधायक भी है। इस बार के चुनावों में लगभग 59 प्रतिशत मतदान हुआ है। जबकि 2019 में 69.25 प्रतिशत था। यानी सीधे-सीधे 10 प्रतिशत मतदान कम हुआ है। 2019 के लोकसभा चुनावों मे चौदह में से चार ऐसी सीटें थी जिसमें कांग्रेस भाजपा से आगे रही। इसमें पिरानकलियर, मंगलौर, ज्वालापुर और भगवानपुर सीटें शामिल हैं। इन सभी सीटों पर मुस्लिम और एससी वोटरों की संख्या ज्यादा है, जिसे बसपा और कांग्रेस का वोटर माना जाता है। अब इन चार सीटों पर 2024 में हुए मतदान का प्रतिशत देख लेते हैं।
पिरान कलियर- 61.42 प्रतिशत
मंगलौर– 61 प्रतिशत
ज्वालापुर- 64 प्रतिशत
भगवानपुर- 67 प्रतिशत
ये आंकड़े और जातीगत समीकरण देखकर समझा जा सकता है कि प्रचंड मोदी लहर में जब भाजपा इन सीटों पर पिछड़ी थी तो इस बार उसका संघर्ष कांग्रेस की बढ़त के अंतर को कम से कम रखने का रहेगा। अब बात उन सीटों की करते हैं जिन सीटों पर भाजपा कांग्रेस से लगभग 10 हजार या उससे कम वोटों से आगे रही ।
झबरेड़ा
खानपुर
लक्सर
हरिदावार ग्रामीण
इन चार सीटों की जातीगत समीकरण की बात करें तो मुस्लिम, एससी और ओबीसी वोटरों की संख्या प्रमुख है। जिनमें से ओबीसी वोटर बड़ी संख्या में भाजपा के पक्ष में जाता है। मतदान प्रतिशत की बात करें तों खानपुर को छोड़ दें तो सभी जगह 60 प्रतिशत या उससे ज्यादा वोटिंग हुई है। वहीं हरिद्वार ग्रामीण जहां पूर्व सीएम हरीश रावत की बेटी विधायक है वहां 70 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। इन सभी 8 विधानसभाओं में बसपा 2019 में 15 से 25 हजार वोट हासिल करने में कामयाब रही थी।
अब बात करते हैं 6 विधानसभाओं की जहां पर भाजपा ,कांग्रेस से एक तरफा बढ़त बनाने में कामयाब रही। इसमें सबसे अहम है देहरादून जिले की तीन विधानसभाऐं धर्मपुर, डोईवाला और ऋषिकेश। इन तीनों सीटों पर भाजपा ने हरिद्वार लोकसभा सीट पर भाजपा को पड़े कुल वोटों का आधा वोट हासिल किया। इसके अलावा रुडकी, हरिद्वार, बीएचएल रानीपुर में भी भाजपा और कांग्रेस के वोटों का अंतर चालिस हजार वोटों तक का रहा है। तो ये सीटें भाजपा का एक मजबूत किला रही हैं।
अब यहां के मत प्रतिशत पर नजर डाल लेते हैं।
ऋषिकेश – 51 प्रतिशत
डोईवाला – 58 प्रतिशत
धर्मपुर – 50 प्रतिशत
बीएच ईएल – 60 प्रतिशत
रुडकी -51 प्रतिशत
हरिद्वार – 54 प्रतिशत
कुल मिलाकर 2022 में हुए विधानसभा सभा के चुनावों के मत प्रतिशत की तुलना करें तो इन विधानसभाओं का लोकसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत उदासीन रहा है। इसके अलावा इस सीट पर सबसे बड़ा फैक्टर बसपा पर नजर डालें तो टिकट बंटवारे के शुरुआती दौर में ही पार्टी को झटके लगते रहे। भावना पाण्डेय को बसपा ने पार्टी में शामिल किया और सीधे टिकट दे दिया। जिसके चार दिन बाद वो भाजपा में शामिल हो गई। इसके बाद बसपा ने मुजफ्फरनगर जिले के मीरापुर से विधायक रहे मौलाना जमील अहमद कासमी को हरिद्वार का लोकसभा उम्मीदवार घोषित किया। 2019 में लोकसभा चुनाव में बसपा को 1 लाख 74 हजार वोट मिले थे। अब 2024 के लोकसभा चुनावों में बसपा के सामने अपनी 2019 की परफोरमेंस दौहराने की चुनौती है । वहीं शुरुआती झटकों के बाद नए प्रत्याशी की मौजूदगी में बसपा अपने कोर वोटर को अपनी तरफ आर्कषित कर पाती है या वहीं ये बड़ा सवाल है ।
क्योंकि बसपा का कोर वोटर दलित और मुस्लमान इस बार हरिद्वार में उससे छिटका हुआ दिखाई दिया। जो ग्राउण्ड रिपोर्ट मतदान के दिन आ रहीं थी और राजनीतिक जानकारों की मानें तो दलित वोटरों का एक बड़ा हिस्सा बसपा से अलग हुआ है। वहीं पूरे देश की तरह इस सीट पर भी मुस्लिम मतदाता ने उस दल को अपना वोट देने का विचार बनाया जो भाजपा को हरा सकने में सक्षम हो। तो ऐसे में भाजपा के गढ़ में कम मतदान प्रतिशत, और बसपा की परफोर्रमेंस में गिरावट इस सीट पर कांग्रेस को 4 जून तक मुस्कराने का मौका तो दे ही रही है ।