मानसून से ठीक पहले आपदा विभाग आपदाओं से घिर गया है। ये विभाग खुद मुख्यमंत्री संभाल रहे हैं। और जिस आपदा ने सीएम के इस विभाग को घेरा हुआ है, वो है “इस्तीफे”। आपदा विभाग में लगातार होते इस्तीफों ने इस विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही आने वाले मानसून सीजन में आपदा विभाग अपने काम को कैसे अंजाम दे पाएगा, इस पर भी प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी मानसून सीजन में किसी भी आपदा से निपटने के लिए बैठकें कर रहे हैं। इन बैठकों में विभागीय सचिव रंजीत सिन्हा, विभाग की जिन तैयारियों का खाका सीएम के सामने रख रहे होंगे, बिना स्टाफ के उन्हें वो पूरा कैसे करेंगे, उम्मीद है कि इसका ब्यौरा भी उनके पास होगा।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधीकरण, आपदा विभाग का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है। इस प्राधीकरण से अब तक 15 लोग इस्तीफा दे चुके हैं। इसमें प्राधिकरण एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर पियूष रौतेला भी शामिल हैं जो कि पिछले 20 सालों से यहाँ काम कर रहे थे। इसके अलावा भूपेंद्र भैंसोड़ा जो कि मैनेजर ट्रेनिंग के पद पर कार्यरत थे और पिछले 15 सालों से ज्यादा इस प्राधिकरण में अपनी सेवाएं दे रहे थे ,इस्तीफा दे चुके हैं। मेजर राहुल जुगरान जो कि जूनियर एक्जिक्यूटिव थे और आपदा प्रबंधन केंद्र संभाल रहे थे , समय नोटिस पीरियड पर चल रहे हैं, वो 15 साल से प्राधिकरण में कार्यरत थे । गिरीश जोशी जो कि डी आर एम एक्सपर्ट के रूप में 15 सालों से काम कर रहे थे, इस्तीफा दे चुके हैं। इसके अलावा कई एक्सपर्ट अपने अपने मूल विभाग में वापस जा चुके हैं। वहीं जिलों में भी जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी बड़ी संख्या में विभाग से इस्तीफा दे रहे हैं।
इन इस्तीफों के पीछे विभाग की नीतियाँ और अनैतिक दबाव बताया जा रहा है। विभाग छोड़ कर गए इन लोगों का कहना है कि किसी तरह का इंक्रीमेंट लंबे समय से विभाग की तरफ से नहीं दिया गया है। इसके अलावा आरोप ये भी लग रहे हैं कि महकमें के बड़े हाकिम की कार्यप्रणाली और अनैतिक काम करने के दबाव बनाए जाने के कारण भी विभाग में इस्तीफा हो रहे हैं।
किसी भी संस्थान के लिए एक अनुभवी वर्क फोर्स उसके लिए जमा पूँजी से कम नहीं होती । और आपदा विभाग ने मानसून सीजन से ठीक पहले अपनी इस पूँजी को गँवा चुकी है ।