लोकसभा चुनाव में फैजाबाद सीट जहाँ अयोध्या स्थित है वहाँ भाजपा को हार का मुँह देखना पड़ा और अब देवभूमी कहे जाने वाले उत्तराखण्ड़ के चार धामों में से एक धाम बदरीनाथ धाम जिस विधानसभा में स्थित है , बदरीनाथ विधानसभा से भाजपा को मुँह की खानी पड़ी है। यहाँ लोकसभा चुनावों में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए राजेंद्र भण्डारी कांग्रेस प्रत्याशी लखपत बुटौला से हार गए हैं ।
इस सीट कांग्रेस के लखपत बुटौला ने राजेंद्र भण्डारी को 5224 वोटों से हरा दिया । ये चुनाव ना केवल भण्डारी के लिए अस्तित्व का सवाल था बल्कि सी एम पुष्कर सिंह धामी और पौडी से सांसद अनिल बलूना की प्रतिष्ठा का भी प्रशन बन गया था । बदरीनाथ विधानसभा खुद प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट का चुनावी क्षेत्र है । ऐसे में उनकी क्षमताओं पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं । सरकार ने यहाँ अपनी पूरी ताकत झौंक दी थी । सरकार के कैबिनेट मंत्रियों ने बकायदा इस सीट पर कैंप किया । खुद मुख्यमंत्री धामी 3 दिनों तक चुनाव प्रचार किया लेकिन राजेंद्र भण्डारी की चुनावी नाव पार नहीं लगा पाए ।
दरअसल इसकी एक बहुत बड़ी वजह भाजपा कार्यकर्ताओं की नारज़गी बताया जा रहा है । लोकसभा चुनावों से ठीक पहले पार्टी स्तर पर बिना किसी को विश्वास में लिए राजेंद्र भण्डारी को पार्टी में शामिल कर लिया । कहा जा रहा है कि इसमें अनिल बलूनी का अहम किरदार रहा । वहीं आम वोटर भी राजेंद्र भण्डारी के दल बदल से बेहद नाराज दिखे । लोकसभा चुनावों में एक दिन पहले राजेंद्र भण्डारी कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गौदियाल का प्रचार करते दिखाई दिए । और अगले ही दिन उन्ही कपड़ों में उनकी दिल्ली में भाजपा की सदस्यता लेते हुए तस्वीरें न्यूज चैनलों में तैरने लगी । जिसके बाद भाजपा के खिलाफ उनके द्वारा दिए गए उनके बयान सोशल मीडिया में खूब वायरल हुए । जिससे उनके खिलाफ एक माहौल बना ।
भाजपा का ज़मीनी कार्यकर्ता उपचुनाव के प्रचार में उदासीन दिखा । संगठन जो भाजपा की सबसे बड़ी ताकत है वो हर स्तर पर ढीला पड़ गया । प्रदेश के बडे नेता यहाँ तक की सांसद अनिल बलूनी, सी एम पुष्कर धामी और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट भी कार्यकर्ताओं को चार्ज नहीं कर पाए ।
कांग्रेस को ये जीत खालिस भाजपा कार्यकर्ताओं और वोटरों की नारजगी की वजह से मिली । इस बार उपचुनाव में भले ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एक मंच पर दिखाई दिए । लेकिन संगठन स्तर पर वो बेहद कमजोर थे । आधे से ज्यादा संगठन तो पहले ही भाजपा में शामिल हो चुका था । उसके बाद राजेंद्र भण्डारी के भाजपा में जाने से रही सही कसर पूरी हो गई । लेकिन उपचुनाव में कांग्रेस की जीत सिर्फ वोटरों की भाजपा के प्रति नाराज़गी दिखाता है ।
उत्तराखण्ड में दो सीटों बदरीनाथ और मंगलौर में उपचुनाव हुआ बदरीनाथ सीट पर कांग्रेस के दल बदल कर आए राजेंद्र भण्डारी को टिकट दिया गया । वहीं मंगलौर से करतार सिंह भडाना को हरियाणा से आयात करके लाया गया । और दोनों को ही वोटर ने हार की माला पहना दी । बदरीनाथ सीट कांग्रेस ने भाजपा की झोली में जाने से बचा लिया तो मंगलौर में कांग्रेस ने जीत भाजपा से छीन ली है।
संगठन के निर्णय कार्यकर्ताओं को विशवास में ना लेकर सीधे दिल्ली से कुछ अनुभवहीन नेताओं के कहने पर होने लगे तो नतीजे किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए विपरीत ही होते हैं ।