यू पी के बाद अब उत्तराखण्ड भाजपा में भी बगावत के सुर गूंजने शुरु हो गए हैं । उत्तरप्रदेश में 14 जुलाई को हुई भाजपा कार्यसमीति की बैठक में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मोर्य के एक बयान ने भाजपा की अंदरुनी कलह को सरेआम कर दिया । बैठक में उन्होने कहा कि संगठन सरकार से बड़ा होता है । पहले भी था और आगे भी रहेगा। जिसके बाद सियासी गलियारों में यू पी भाजपा में गटबाजी के चर्चे होने लगे। कहा जा रहा है कि उनके इस बयान का टारगेट सी एम योगी थे ।
बाईट
15 जुलाई ,यू पी की कार्यसमीति की बैठक के ठीक एक दिन बाद उत्तराखण्ड भाजपा की कार्यसमीति की बैठक हुई । और उसमें भी एक ऐसा ही भाषण हुआ जो अब सुर्खियाँ बटौर रहा है । ये भाषण था पूर्व सी एम और गढवाल लोकसभा सीट से सांसद रहे तीरथ सिंह रावत का । कार्यसमीति की बैठक का विडियो भाजपा के यू ट्यूब चैनल में डाला गया है । इस चैनल पर सभी वक्ताओं के भाषण हैं लेकिन तीरथ सिंह रावत का भाषण शुरु होने के कुछ ही देर में काट दिया जाता है । क्या तीरथ के भाषण ने भाजपा को इतना परेशान किया कि भाजपा ने इसे अपने यू टयूब चैनल से हटा दिया है?
लेकिन किसी कार्यकर्ता में इसे अपने मोबाईल फोन से रिकोर्ड किया । और अब ये सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है ।
भाषण का जो हिस्सा वायरल हुआ है उसमें तीरथ सिंह रावत उसमें तीरथ सिंह रावत ये कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि कोई भी निर्णय राय मशवरे से किया जाना चाहिए । कोई फैसला थोपा नहीं जाना चाहिए ।
जब तीरथ सिंह रावत ये कहते हैं तो तालियों और उँचे स्वर में नारे लगाते है । ऐसा लगता है कार्यकर्ता मानो उनकी बात का समर्थन कर रहे हैं । वो यहीं नहीं रुकते है वो कहते है कि भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है कोई बड़ा छोटा नहीं सबको दायित्व मिला है । कोई भी किसी की जगह ले सकता है । और जमीन ना छोड़ने की हिदायत दे डाली
इसके बाद वो मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की के बारे में बताने लगे । वो धामी की तारीफ कर रहे थे । और उनके संघर्षों के बारे में बता रहे थे । लेकिन उनके अंदाजे बयां में तंज़ का तड़का दिखाई दिया और कार्यकर्ताओं की तालियों और ठहाकों ने मुख्यमंत्री को असहज जरुर किया होगा ।
त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद तीरथ सिंह रावत को महज तीन महीनों के लिए सी एम पद पर रहे । और उनके बाद सी एम की कुर्सी पर पुष्कर धामी बैठे । तीरथ सिंह रावत से मुख्यमंत्री की कुर्सी छीन ली गई । साथ ही उन्हें गढ़वाल लोकसभा सीट से इस बार टिकट भी नहीं दिया गया ।
इससे पहले हरिद्वार से सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कई बार मीडिया में अपनी ही सरकार की नीतियों को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं और अब तीरथ सिंह रावत के इस बयान ने ये बता दिया है कि पिछले 10 सालों से सरकार हावी थी लेकिन अब संगठन की बारी है ।