उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सोमवार को देहरादून में जल निकायों पर हो रहे अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई के लिए दिशा-निर्देश जारी किए। अदालत तीन जनहित याचिकाओं (PIL) पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें राजपुर, दून घाटी के जल निकायों और नालों पर अतिक्रमण की शिकायत की गई थी।
क्या है मामला?
एक याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि राज्य सरकार रिस्पना और बिंदाल नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों को ‘नो कंस्ट्रक्शन ज़ोन’ घोषित करे। एक अन्य याचिका में निजी अतिक्रमण की शिकायत की गई और सहस्त्रधारा की मौसमी जलधाराओं में हो रहे अतिक्रमण को रोकने की मांग की गई।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
जब अदालत ने जल निकायों पर अतिक्रमण को लेकर अनुपालन रिपोर्ट जमा करने में हो रही देरी पर सवाल किया, तो देहरादून नगर निगम के वकील ने 2018 के एक कानून का हवाला दिया, जिसमें 2016 से पहले के अतिक्रमणों को हटाने पर रोक लगाई गई थी। इस पर अदालत ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कानूनी प्रक्रिया से इन्हें हटाइए, तो आप प्रक्रिया शुरू कीजिए…”
मुख्य न्यायाधीश (CJ) ने टिप्पणी की, “यह भविष्य के अस्तित्व का सवाल है…” अदालत ने पाया कि निर्माण नहीं हुआ है, लेकिन जलधाराओं में मलबा डाला जा रहा है।
सरकारी लापरवाही पर नाराजगी
याचिकाकर्ताओं के वकील अभिजय नेगी ने दलील दी कि दो मौसमी नदियों में मलबा डाला जा रहा है। इस पर CJ ने नगर आयुक्त से पूछा, “क्या आपको यह याद दिलाना पड़ेगा कि अदालत के आदेशों का पालन करना आवश्यक है? क्या आपको इसके परिणामों का अहसास है?”
मुख्य सचिव, वन विभाग के प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु और शहरी विकास व राजस्व सचिवों ने स्वीकार किया कि वे रिपोर्ट जमा करने में असफल रहे हैं। उन्होंने सफाई दी, “हमने अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया, लेकिन चुनावों (संसदीय और नगरपालिका) के कारण रिपोर्ट नहीं दे पाए।”
कोर्ट ने दी ये सख्त हिदायतें
चुनाव बहाना नहीं: अदालत ने कहा, “चुनाव कोई बहाना नहीं हो सकता। हमें यह बताइए कि अतिक्रमण हटाने में कितना समय लगेगा?”
तीन हफ्तों में रिपोर्ट: अदालत ने सिंचाई, शहरी विकास, वन और राजस्व विभागों के सचिवों और नगर आयुक्त को तीन सप्ताह में शपथ पत्र जमा करने को कहा।
मलबा डालने वालों पर कार्रवाई: कोर्ट ने निर्देश दिया कि संबंधित थाना प्रभारी (SHO) और शहरी विकास सचिव इस पर सार्वजनिक घोषणा करें कि “जल निकायों में मलबा डालना दंडनीय अपराध है।”
CCTV निगरानी: अधिकारियों को अतिक्रमण की निगरानी के लिए CCTV कैमरे लगाने का भी निर्देश दिया गया।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “भूमि हड़पने के उद्देश्य से कुछ स्वार्थी तत्व जल निकायों में मलबा डालते हैं, जिससे बाढ़ आती है…”
हाईकोर्ट ने यह सुनिश्चित करने को कहा कि अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया तुरंत शुरू हो और सरकार अपनी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास न करे।