हरिद्वार पुलिस का फरमान कहीं उत्तराखण्ड़ के लिए गले की फांस ना बन जाए । दरअसल यू पी के मुज्जफरनगर की तर्ज पर हरिद्वार पुलिस ने भी ये फरमान जारी कर दिया है कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों और रेड़ी पटरी वालों को अपना नाम डिस्प्ले करना होगा । और ऐसा ना करने पर उन पर कार्रवाही की जाएगी ।
जिसके बाद सोशल मीडिया में इसे हिंदु मुस्लिम रंग दिया जाने लगा है । इसे अब पवित्रता और अपवित्रता से जोड़ा जा रहा है । जिसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर एन डी ए के घटक दलों ने इसका विरोध करना शुरु कर दिया है । जदयू की तरफ से पार्टी के महसचिव के सी त्यागी ने विरोध किया है तो लोकजनशक्ति पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इसका खुलकर विरोध किया है ।
और अब केंद्रीय मंत्री और एन डी ए के एक और घटक दल राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अधय्क्ष जयंत चौधरी ने भी इस मामले में तीखा बयान दिया है । जयंत चौधरी ने साफ कह दिया है कि वो सरकार के इस फैसल से खुश नहीं है । उन्होने कहा है कि कांवड़ ले जाने वाले या सेवादार की कोई पहचान नहीं होती, धर्म या जाति की पहचान करके कोई कांवडिया सेवा नहीं लेता । उन्होने हिदायत देने के अंदाज में कह दिया कि इस मामले को धर्म और जाति से भी नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
उन्होने इस मामले में तर्क देते हुए कहा कि सब अपनी दुकानों पर नाम लिख रहे हैं । मैकडॉनल्ड और बर्गर किंग क्या लिखेगा । फैसले पर सवाल उठाते हुए उन्होने कहा कि सरकार ने यह फैसला ज्यादा सोच समझ कर नहीं लिया। उन्होने जोर देकर कहा कि अभी भी समय है ये फैसला वापस हो जाना चाहिए।
इस बयान के सियासी मायने भी हैं यू पी की मीरापुर विधानसभा में जल्द उपचुनाव होने हैं । ये इलाका मुस्लिम बाहुल्य है । आर एल ड़ी यहाँ से चुनावी मैदान में कूदने वाली है ऐसे में यू.पी सरकार का ये फैसला उनके लिए जीत की राह में रोड़ा बन सकता है । सूत्र बता रहे है कि जयंत चौधरी की पार्टी RLD मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट के उपचुनाव में मुस्लिम उम्मीदवार उतारना चाहती है । मीरापुर मुस्लिम बाहुल्य सीट है और यहां से 2022 में RLD के चंदन चौहान जीते थे। अब चंदन के बिजनौर से सांसद बनने के बाद ये सीट खाली हुई है
जिसके बाद जयंत चौधरी ने पूर्व सांसद अमीर आलम के बेटे नवाजिश आलम को मीरापुर से उम्मीदवार बनाने को लेकर बात की है। बीजेपी के साथ जयंत के जाने से मुस्लिम वोट RLD से दूर हो गया है। कांवड़ यात्रा पर योगी सरकार के खिलाफ बयान देने इसी रणनीति के हिस्से के तौर पर देखा जा रहा है
हालांकि ये बयान उन्होने यू पी सरकार के फैसले को लेकर दिया । लेकिन केंद्र की राजधानी में अगर हलचल होती है तो उसका असर हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड में जरुर पडेगा । ऐसे में हरिद्वार पुलिस की तरफ से जो बयान आया है । उससे राज्य सरकार अछूती नहीं रह सकती । यू पी की तर्ज पर लिए गए इस फैसले को लेने से पहले राजनीतिक गुणा भाग पूरा नहीं किया गया । यू पी सरकार के फैसले पर ये प्रतिक्रियाऐं आ रहीं है लेकिन घटक दल अपना विरोध जब दर्ज कराऐंगे तो उत्तराखण्ड का नाम इसमें जरुर शामिल होगा और ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व को, इन दोनों राज्यों की सरकारों द्वारा नेम प्लेट लगाने का ये फैसला असहज करने वाली स्थति पैदा कर रहा है ।
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