कोटद्वार। जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले के बफलियाज में बलिदान हुए राइफलमैन गौतम कुमार (29) के परिजन उनकी शादी की तैयारियों में लगे थे। बीती 30 सितंबर को ही गौतम की सगाई हुई थी और 11 मार्च को उनकी शादी होने वाली थी, लेकिन उनके बलिदान होने की खबर से शादी इं की तैयारियों वाले घर में मातम ह पसर गया।रेशम फार्म शिवपुर कोटद्वार नं निवासी बलिदानी गौतम कुमार के भाई राहुल कुमार ने बताया कि र गौतम वर्ष 2014 में सेना के
परिवार में सबसे छोटे थे गौतम
राहुल कुमार ने बताया कि दो साल पहले ही उनके पिता का निधन हुआ था। वह शिक्षा विभाग में थे। माता नीलम देवी गृहणी हैं। गौतम चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। दो बहनों की शादी हो चुकी है। राहुल भी शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं। गौतम के बलिदान सूचना पर पूरे कोटद्वार में शोक है। बड़ी संख्या में लोग उनके परिजनों को सांत्वना देने पहुंच रहे हैं। राहुल ने बताया कि गौतम का पार्थिव शरीर शनिवार को कोटद्वार पहुंचेगा, जहां पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
16 दिसंबर को की थी ड्यूटी ज्वाइन
गौतम कुमा आर्ल्ड कोर में भर्ती हुए थे। वह पिछले दो साल से जम्मू कश्मीर के पुंछ सेक्टर में तैनात थे। एक दिसंबर को ही वह 15 दिन की छुट्टी पर घर आए थे और 16 दिसंबर को फिर ड्यूटी ज्वाइन की थी। सितंबर में गौतम की सगाई ऋषिकेश में हुई थी, पूरा परिवार शादी को लेकर उत्साहित था। लेकिन, बृहस्पतिवार रात 12:30 बजे सेना के अधिकारियों ने फोन पर उन्हें गौतम के बलिदान की खबर दी, जिससे पूरे परिवार सदमे में है। घरवालों का रो-रोकर बुरा हाल है। संवाद
आज होगा अंतिम संस्कार
प्रधान बमियाला कमलकांत ने बताया कि बीरेंद्र सिंह मिलनसार स्वभाव के थे और बचपन से ही सेना में जान चाहते थे। बमियाला गांव सैनिक बाहुल्य गांव है। बीरेंद्र के बड़ा भाई धीरेंद्र सिंह भी आइटीबीपी में तैनात है। बीरेंद्र अपने दो भाई और एक बहन में सबसे छोटे थे। दलबीर सिंह ने बताया कि शनिवार दोपहर तक उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचेगा। यहां अंतिम दर्शनों के बाद सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके बलिदान होने की खबर मिलते ही घर पर परिचितों और शहरवासियों की भीड़ जुट गई है।
जनवरी में आने का किया था वादा
नारायणबगड़। आंतकी हमले में बलिदान हुए 15 गढ़वाल राइफल में नायक के पद पर तैनात बीरेंद्र सिंह ने अपने माता-पिता से जनवरी 2024 में छुट्टी पर घर आने का वादा किया था, लेकिन बृहस्पतिवार देर रात उनके बलिदान की खबर आ गई। इसके बाद से पूरे गांव में मातम पसरा है। बमियाला गांव के दलबीर सिंह ने बताया कि बीरेंद्र एक साल पहले गांव आए थे। उन्होंने जनवरी में छुट्टी पर आने की बात की थी, जिसका परिजन और परिचित बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। लेकिन बेटे के बलिदान की खबर ने उन्हें बेसुध कर दिया है।