केदारनाथ उपचुनाव की तारीखों का ऐलान भले ही ना हुआ हो । लेकिन केदारनाथ विधानसभा में भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों की चुनावी उम्मीदें उछाल मार रही हैं । कांग्रेस से इस समय पूर्व विधायक मनोज रावत विधानसभा में सक्रीय दिखाई देते हैं । तो पार्टी के जिलाअध्यक्ष की टिकट मिल जाने की उम्मीदें कुलांचे भर रही है । हालांकि पूर्व विधायक होने के नाते मनोज रावत का दावा टिकट पर मजबूत दिखाई दे रहा है । गाहे बगाहे हरक सिंह रावत का नाम भी उछाल दिया जाता है । लेकिन हरक के फरक जाने की पुरानी आदत उनके टिकाउ होने पर संदेह पैदा करती है । साथ ही ईडी और सी बी आई जांच की आंच में वो झुलसे हुए हैं । ऐसे में आलाकमान उनको टिकट देकर मरहम लगाएगा ऐसा लगता तो नहीं ।
लेकिन उम्मीदवारों का सैलाब तो भाजपा में आया हुआ है । पार्टी में टिकट के तलबगारों की लिस्ट हर दिन लंबी होती जा रही है । कई उम्मीदवार तो ऐसे हैं जो चुनावी बिगुल के साथ रण में उतर चुके हैं । पार्टी को मजबूत करने के चक्कर में केदारनाथ विधानसभा में भाजपा ने जिन सितारों को अपने पाले में पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में कर लिया था । वो अब पार्टी को करंट मारने को तैयार हैं ।
कांग्रेस से पाला बदलकर भाजपा में गई केदारनाथ विधायक शैला रानी रावत की मौत के बाद इस सीट पर उपचुनाव होना है । ऐसे में शैला रानी रावत की बेटी ऐशवर्या रावत ने इस सीट के टिकट पर अपने दावे को स्वाभाविक बता रही है । उनका कहना है कि उनकी माँ के मृत्यु के बाद टिकट उनके परिवार में से ही किसी को मिलना चाहिए । ऐसी समझ दिमाग में बैठा लेने का उनके पास कारण भी है । क्योंकि किसी विधायक की मौत के बाद खाली हुई सीट पर मृत विधायक के परिवारजन को टिकट देने की परंपरा भाजपा निभाती आ रही है । ऐसे में इस परम्परा में ऐशवर्या रावत भी चुनाव लड़ कर अपना योगदान देना चाहती हैं । वो टिकट पर अपना हक इस कदर मान बैठी हैं कि उन्होने विधानसभा में भ्रमण भी शुरु कर दिया है । उनकी माँ की तेहरवीं के बाद उनके यू टयूब पर इंटरव्यू ऐसे अपलोड़ हुए मानो वो माँ की तेहरवीं के बंधन में बंधी हों और ये बंधन खुलते ही वो साक्षत्कार देने के लिए आजाद हो गई हों ।
ऐसा ही कुछ मामला कुलदीप रावत का है । जो कि पिछले दो चुनावों से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं । पेशे से प्रोपर्टी डीलर कुलदीप अब भाजपा में है । लेकिन चुनावों में पार्टी उनसे कैसे डील करेगी ये देखना होगा । कुलदीप भी टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं । उनके भी भ्रमण कार्यक्रमों का सोशल मीडिया में आवागमन शुरु हो चुका है । लेकिन भाजपा संगठन से इनका कोई लेना देना नहीं है । ना जिले के पदाधिकारियों को इन कार्यक्रमों की जानकारी होती है ना ही भाजपाई इसमें शामिल होते हैं । हाल ही में जन समर्थन कार्यक्रम का आह्वाहन उन्होने किया । इसमें उन्हें जनता का कितना समर्थन मिला ये शोध का विषय हो सकता है । लेकिन इसके जरिए वो दूसरे उम्मीदवारों और पार्टी के सामने अपना शक्ति प्रदर्शन करते हुए दिखाई दिए । इस कार्यक्रम से कुछ दिन पहले भाजपा कार्यालय में वो सूबे के मुखिया से मिले थे । लेकिन शायद इस कार्यक्रम में वो ये भूल गए कि वो भाजपा से जुडे हैं । तभी तो उन्होने अपने नाम के आगे समाजिक कार्यकर्ता लिखवाया । इस मंच पर भाजपा सरकार को भी खूब कोसा गया । और अपनी ही सरकार का तिरस्कार सुन कर कुलदीप रावत इत्मिनान करते दिखे।
भाजपा महिला मोर्चे की अध्यक्षा आशा नौटियाल भी अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं। वो इस सीट पर दो बार विधायक रही हैं । एक बार वो निर्दलीय चुनाव हार चुकी हैं । लगभग 15 सालों से वो सत्ता से दूर हैं । और ऐसे में नया वोटर उनसे कटा हुआ है। लेकिन क्षेत्र में वो एक बार फिर एक्टिव हो गई हैं । उनके पास प्रदेश महिला मोर्चे का अध्यक्ष पद है इसलिए संगठन के जरिए लोगों से मेल मिलाप आगे बढा रहीं है । वो केदारनाथ विधानसभा में चल रहे भाजपा के सदस्यता अभियान के जरिए आने वाले चुनावों के लिए अपने लिए जमीन तलाश रही हैं ।
एक दूसरा नाम है कर्नल अजय कौठियाल का । 31 जुलाई को केदरानाथ में आई आपदा के बाद से इस इलाके में सक्रीय हो गए हैं । केदारनाथ का पैदल दौरा वो कर चुके हैं । उनकी सक्रीयता से उनकी ही पार्टी के कई लोग अलर्ट मोड़ में आ गए हैं । केदारनाथ विधानसभा में वो 2013 से चर्चाओं में आए । जब उन्हें कांग्रेस सरकार ने केदारपुरी को दौबारा बसाने और यात्रा शुरु करवाने का जिम्मा दिया । जिसके बाद उनकी राजनीतिक हसरतों को पंख लगे । और वो समय से पहले रिटायरमेंट लेकर भाजपा में टिकट की सैटिंग करने लगे । ये साल 2014 लोकसभा चुनावों का था । लेकिन वो विफल रहे । इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने सी एम का फेस बनाकर चुनाव लडाया । लेकिन वो अपना चुनाव बुरी तरह हारे और चुनावों के बाद उन्होने भाजपा का दामन थाम लिया । और अब केदारनाथ को चुनावी राजनीति के लिहाज से, अपने लिए उपजाऊ मानकर इलाके में अपनी उपस्थति दर्ज करा रहे हैं।
उम्मीदवारी से प्रत्याशी तक सफर कौन पूरा कर लेगा ये चुनावी चकडेतों की बहसों में रोज तय हो रहा है । लेकिन बदरीनाथ चुनावों की हार से जख्मी भाजपा ,केदारनाथ में उम्मीदवारों के दावों से जूझने वाली है।