उत्तराखंड जो कि एक पहाड़ी राज्य है, न केवल हिल स्टेशनों के लिए जान जाता है, बल्कि अपने अनोखे, लुभावने और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध गांवों की वजह से भी प्रसिद्ध है। ऐसा ही एक गांव है भूट गांव, जो देखने में बेहद समान्य है। उत्तराखण्ड के टिहरी जिले के जौनपुर ब्लाक में पड़ने वाला ये गांव दूसरे गांवों से कुछ अलग तो नहीं है, लेकिन हाल ही में इस गांव के लोगों ने लगभग चालिस सालों से चली आ रही अपनी एक मांग को केंद्र सरकार से मनवाने में जीत हासिल की है। सालों से ये गांव चाहता था कि भूट गांव का नाम बदलकर द्वारिकापुरी कर दिया जाए और हाल ही में ऐसा हो भी गया है। लेकिन ऐसा इस गांव के लोग क्यों चाहते थे? इसके पीछे है सालों से इस गांव में हो रही भविष्यवाणियां। जी हां सालों पहले इस गांव के एक व्यक्ति पर देवता अवतरित होता है और वो ये कहता है कि यहां पर श्री कृष्ण की द्वारिका पुरी स्थापित होगी और भगवान श्री कृषण खुद यहां पर अवतार लेंगे।
सालों पहले हुई इस भविष्यवाणी में ये कहा गया था इस गांव का नाम बदलकर द्वारिकापुरी रखा जाए। ऐसा देवता ने गांव के लोगों को आदेश दिया था। इसके साथ ही जहां इस समय गांव है वहीं पर 100 मीटर के दायरे में भगवान का मंदिर स्थापित होगा। इसके अलावा भविष्यवाणी में देवता ने उस स्थान को भी इंगित किया जहां गांव द्वारिकापुरी बनने के बाद गांव विस्थापित होगा और ये स्थान गांव के नजदीक ही है।
आपको बता दें कि सन् 80 से लगातार इस गांव के लोग अपने गांव का नाम बदलने के लिए प्रधानमंत्रियों से गुहार लगाते रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से भी इन लोगों ने गुहार लगाई थी। लेकिन उनकी मांग पूरी ना हो सकी ।
पीढियों से ये लोग इस भविष्यवाणी पर विशवास करते आ रहे हैं। तो सवाल उठता है आखिर क्यों। आखिर क्यों श्री कृष्ण के साकार रुप में अवतार लेने कि इस बात पर यहां के गांव वालों को इतना भरोसा है। दरअसल गांव वालों का कहना कि ये एक मात्र भविष्यवाणी नहीं है जो कि सच हुई है। इससे पहले कई ऐसी भविष्यवाणियां भी है जो उन्होंने सच होते हुए देखी हैं।
इसके अलावा भी एक बेहद रोचक घटना गांव के लोग बताते हैं कि पास के एक गांव के एक व्यक्ति अनिल रमौला पर एक दिन देवता अवतरित होते हैं और ये देवता थे श्री कृष्ण के भाई बलराम जिन्हे यहां भद्रास देवता कहा जाता है। उन्होंने स्नान करने की इच्छा जाहिर कि और एक स्थान की तरफ इशारा किया। इस स्थान पर एक पानी की धारा हुआ करती थी जो 13 साल पहले सूख चुकी थी। लेकिन अनिल वहां पहुंचे वहां पूजा अर्चनी शुरु हुई और वहां पानी की धारा निकल आई। जहां पर देवता ने स्नान किया। इस बारे में अनिल से बात करनी चाही तो उन्होंने बात करने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि देवता द्वारा किए गए वार्तालाप को सबके सामने कहने में उन्हें नियमों का उल्लंघन प्रतीत हुआ। लेकिन गांव के युवाओं ने खुद बताया कि किस तरह से 13 साल बाद यहां से धारा फूटी।