चीन अपनी आक्रामक गतिविधियों की वजह से खतरा बना हुआ है। सिक्किम, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सटे इलाकों में आक्रामकता के बाद चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का पूरा फोकस अब उत्तराखंड में सैन्य बुनियादी ढांचा बढ़ाने पर है। ये उस तरह के इलाके हैं, जहां अभी तक किसी तरह के तनाव की खबर नहीं थी।
चीन की सेना लंबे समय से भारत से सटे सीमावर्ती इलाकों में विशेष रूप से पूर्वी लद्दाख और सिक्किम एवं अरुणाचल प्रदेश के पास के क्षेत्रों में गांवों का निर्माण कर रही हैं। इंडिया टुडे के पास सैटेलाइट से ली गई तस्वीरें हैं, जिनसे उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों में चीन द्वारा बनाए जा रहे सैन्य गांवों के निर्माण के दावों की पुष्टि होती हैं।
इन सैटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषण से पता चलता है कि चीन बहुत तेजी से सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर रहा है। कुछ मामलों में एक महीने के भीतर लगभग 100 स्ट्रक्चर तैयार किए गए। उत्तरकाशी के पुलाम सुमदा से लगभग 40 किलोमीटर दूर इस तरह के सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर अप्रैल से मई 2022 के बीच बने। पूर्व में बाराहोती के पास भी इसी तरह के बुनियादी ढांचे खड़े किए गए।
बता दें कि बाराहोती में चीन और भारत के जवानों के बीच गतिरोध की खबरें आती रही हैं। लेकिन चीन के ये नए बुनियादी इन्फ्रास्ट्रक्चर अलग-अलग इलाकों में हैं। इससे पता चलता है कि चीन पूरे सेक्टर में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है। चीन ने पिछले कुछ समय से भारत और चीन को अलग करने वाले अग्रिम मोर्चों पर आवासीय परिसरों का निर्माण करने पर जोर दिया है। ये आवासीय कॉम्पलेक्स खेल और मनोरंजन की सुविधाओं से लैस हैं लेकिन फिलहाल ये खाली पड़े हैं। भारत के सैन्य सूत्रों के मुताबिक, इन सीमावर्ती गांवों में माइग्रेशन ना के बराबर है, जिससे भी पुष्टि होती है कि इन्हें चीन ने सैन्य उद्देश्यों के लिए तैयार किया है।
बता दें कि गलवान घटना के बाद से भारत और चीन लगातार सैन्य वार्ताओं पर जोर दे रहे हैं। पिछले महीने पूर्वी लद्दाख सेक्टर में एलएसी पर तनाव कम करने को लेकर दोनों देशों के बीच राजनयिक स्तर की वार्ता हुई थी। दिल्ल में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) की अगुवाई में वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कॉर्डिनेशन ऑन इंडिया चाइना बॉर्डर अफेयर्स (डब्ल्यूएमसीसी) की 27वें दौर की बैठक हुई थी।