उत्तराखंड में फिलहाल बारिश से राहत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। मौसम विभाग ने आज भी प्रदेशभर में भारी बारिश की संभावना जताई है। जिसके चलते मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट भी जारी किया है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया, 17 जुलाई को प्रदेशभर के ज्यादातर हिस्सों में भारी बारिश की आशंका है। कुछ इलाकों में बिजली चमकने के साथ कई दौर की बौछार वाली बारिश हो सकती है।
दो दिनों के लिए चेतावनी जारी
बता दें कि उत्तराखंड में मानसून के आगमन से ही बारिश कहर बनकर बरस रही है। पहाड़ों में जगह-जगह भूस्खलन से सड़कें बाधित हैं तो मैदान में जलभराव ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। वहीं मौसम विभाग में आने वाले दिनों के लिए भी चेतावनी जारी की है। सोमवार यानि आज बारिश की संभावना को देखते हुए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है तो मंगलवार के लिए भी पिथौरागढ़, बागेश्वर, अल्मोड़ा, चंपावत, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिले के कुछ इलाकों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। जबकि अन्य सभी जिलों में 18 जुलाई को बारिश का यलो अलर्ट है।
प्रदेश में 286 सड़कें बंद
प्रदेश में बारिश के कारण ग्रामीण सड़कों पर सबसे अधिक मार पड़ रही है। बीते दिन बंद 306 ग्रामीण (सिविल और पीएमजीएसवाई) सड़कों में से मात्र 47 ही खुल पाईं। इस तरह से 259 सड़कें अब भी बंद हैं। जबकि 17 राज्य मार्गों सहित प्रदेश में कुल 286 सड़कों को खुलने का इंतजार है। बीते 24 घंटे में कुल 72 सड़कें बंद हुई हैं, जबकि 263 सड़कें एक दिन पहले से बंद थीं। कुल 335 बंद सड़कों में से रविवार को मात्र 49 सड़कों को खोला जा सका। रविवार शाम समाचार लिखे जाने तक 286 सड़कें बंद थीं। प्रमुख अभियंता लोनिवि दीपक यादव ने बताया कि सड़कों को खाेलने के लिए 245 जेसीबी, पोकलेन, चेन डोजर आदि मशीनों को लगाया गया है। बंद सड़कों में 17 स्टेट हाईवे, पांच मुख्य जिला मार्ग, पांच जिला मार्ग, 134 ग्रामीण सड़कें और 125 पीएमजीएसवाई की सड़कें शामिल हैं। उन्होंने बताया कि अब इन मानसून सीजन में 15 जून से अब तक 2202 सड़कें बंद हो चुकी हैं, इनमें से 1916 सड़कों को खोला जा चुका है। इसके अलावा 25 पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं। पुलों और सड़कों को पूर्वत स्थिति में लाने के लिए लोनिवि की ओर से 15928.31 लाख रुपये खर्च होने का आकलन किया गया है। उधर, खानपुर और लक्सर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत करीब 70 प्रतिशत सड़कें जलमग्न हैं, इन सड़कों की क्षति का आकलन अभी नहीं किया जा सका है। पानी उतरने के बाद भी सही स्थिति का पता चल पाएगा।