उत्तराखंड के आपदा विभाग में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। एक के बाद एक इस्तीफे हो रहे हैं। हाल ये है कि आपदा विभाग के सभी महत्वपूर्ण पद खाली हो चुके हैं। ये विभाग खुद सीएम पुष्कर सिंह धामी के पास है।
बात इस्तीफों तक सीमित रहती तो समझ में आ जाता। लेकिन यहाँ मामला इससे भी ज्यादा आगे निकल गया है। अब विभाग से अलग हुए कर्मचारियों और अधिकारियों को विभाग के सचिव रणजीत सिन्हा की तरफ से नोटिस भेजा जा रहा है। भेजे गए नोटिस में कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। कारण बताओ नोटिस जारी कर विभाग ने कई गंभीर आरोप इन लोगों पर लगाए हैं जिन्होंने इस्तीफा दिया है। हर अधिकारी को अलग-अलग नोटिस दिया गया है और उन पर आरोप भी अलग-अलग तरह के लगाए गए हैं।
ऐसा ही एक नोटिस जो हमारे हाथ लगा है, उसमें सीधे-सीधे आपराधिक षड्यंत्र और फ्रॉड के आरोप लगाए गए हैं। इस नोटिस में कर्मचारी पर प्रोजेक्ट पर काम कर रही एक कंपनी को फायदा पहुँचाने और उसके साथ मिलकर षड्यंत्र कर विभाग को 5 करोड़ रुपए का नुकसान पहुँचाने का आरोप लगाया गया है।
इन आरोपों का आधार हाई पावर कमेटी को बनाया गया है जिसने एक तकनीकी कमेटी के जांच के आधार पर आरोप तय किए और नोटिस भेजा।
इस नोटिस में अधूरी और झूठी जानकारी देकर भुगतान करने का अनुमोदन करने का आरोप लगा है। एक दूसरे अधिकारी को नोटिस में पूछा गया है कि 2013 की आपदा में एयर फोर्स के अधिकारियों को जो खाना खिलाया गया है उसका ब्यौरा पेश करें। और उसमें गड़बड़ी के आरोप लगाए गए हैं। ऐसे कई और लोगों को उनके पदों पर रहते हुए किए गए कामों को लेकर नोटिस भेजे गए हैं।
आपदा विभाग से जिस भी बड़े अधिकारी ने अपने पद से इस्तीफा दिया है उसे विभाग की तरफ से कारण बताओ नोटिस भेजा गया है या भेजा जा रहा है। और सभी में उनके कार्यकाल के दौरान जो कार्य उन्होंने किए हैं, उन पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। चूंकि सभी अलग-अलग जिम्मेदारियाँ संभाल रहे थे तो आरोप भी अलग-अलग लगाए गए हैं। इस नोटिस में एक नियत तारीख भी दी गई है जिसमें व्यक्तिगत रूप से लिखित जवाब लेकर उपस्थित रहने को कहा गया है।
वहीं कुछ नोटिस के जवाब भी आने शुरू हो गए हैं। ऐसे ही एक जवाब में बेहद गंभीर टिप्पणियाँ की गई हैं। नोटिस के जवाब में कारण बताओ नोटिस की भाषा पर कड़ी आपत्ति की गई है। उसमें कहा गया है कि आपराधिक षड्यंत्र का आरोप आपराधिक मानहानि के दायरे में आता है। और इसको लेकर मुख्य सचिव को भी एक पत्र लिखा गया है।
इसके अलावा जवाब में लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया गया है। चूंकि जिस कर्मचारी को ये नोटिस भेजा गया है वह कॉन्ट्रैक्चुअल थे। उन्होंने कहा है कि जो भी फैसले लिए गए थे, प्रोजेक्ट मैनेजर और प्रोजेक्ट डायरेक्टर स्तर पर लिए गए हैं, जिसमें आईएएस अफसर कार्यरत रहे हैं। 10 सालों से चले आ रहे इन प्रोजेक्ट को पूरा करने के बाद वर्ल्ड बैंक और भारत सरकार ने भी सही माना है। और इसलिए उन पर लगे आरोप गलत हैं।
इसके अलावा इस नोटिस में यह कहा गया कि पिछले 10 सालों से चले आ रहे इस प्रोजेक्ट में प्रोग्राम डायरेक्टर और प्रोग्राम मैनेजर जो कि आईएएस अफसर होते हैं, उनको भी शामिल किया जाए क्योंकि सारे निर्णय उनके ही स्तर पर लिए गए हैं।
एक दूसरा कारण बताओ नोटिस जो जारी किया गया है, उसमें एक दूसरे अधिकारी से उनकी नियुक्ति के बारे में जानकारी मांगी गई है, जैसे उनकी नियुक्ति कब हुई और उनकी तैनाती की समयावधि कब बढ़ाई गई। आपदा विभाग ने अलग-अलग लगभग 15 लोगों को ये नोटिस दिए हैं। इसमें 10 आईआईटी के प्रोफेसर भी हैं। ऐसा लग रहा है कि आपदा विभाग में चल रहे प्रोजेक्ट और कॉन्ट्रैक्ट पर रखे गए सभी एक्सपर्ट को नोटिस भेज दिए गए हैं। 15-20 साल से काम कर रहे अधिकारियों को भी उनके कार्यकाल में किए गए कामों के लिए नोटिस भेजे जा रहे हैं। और वह भी तब जबकि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा विभाग को भेज दिया है।
इस पूरे मामले में एक तथ्य यह भी सामने आता है कि क्या किसी संविदा, आउटसोर्स या इसी तरह की किसी प्रक्रिया से रखे कर्मचारियों की जिम्मेदारियों की सीमाएं क्या होती हैं। तो जवाब 2018 के सरकारी शासनादेश से मिलता है जिसमें साफ लिखा गया है कि ऐसे कर्मचारियों का कोई उत्तरदायित्व विभाग के प्रति नहीं होगा। इसके साथ ही किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्यवाही विभाग द्वारा नहीं की जा सकती। हाईकोर्ट नैनीताल ने इस समान कार्य समान वेतन पर अपना निर्णय देते हुए ये बात कही थी जिसके बाद ये शासनादेश लागू किया गया।
कुल मिलाकर मानसून सीजन से पहले चिंता इस बात की होनी चाहिए कि जिन कर्मचारियों ने पद छोड़ दिया है उनका क्या विकल्प होना चाहिए। लेकिन विभाग ने सभी को कारण बताओ नोटिस थमा दिया है। सूत्रों की मानें इस विभाग के एक बड़े अधिकारी द्वारा डाले जा रहे अनैतिक दबाव और उसकी कार्यशैली की वजह से इन कर्मचारियों ने अपने पद से इस्तीफा दिया है। कारण जो भी हो लेकिन इन सभी मामलों से सीएम का यह विभाग चर्चाओं का विषय तो बन ही रहा है।
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