मोदी ने जिस का किया चरणस्पर्श ,भाजपा नेता बता रहे नकली संत ?
अनंत अंबानी की शादी समारोह की एक तस्वीर बहुत वायरल हुई ।जिसमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंकराचार्य़ स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के पांव छूकर आर्शिवाद लेते दिखाई दे रहे हैं । वो उनके पांव इसलिए छू रहे हैं क्योंकि शंकराचार्य हिन्दू धर्म में सर्वोच्च धर्म गुरु का पद है जो कि बौद्ध पंथ में दलाईलामा एवं ईसाई रिलीजन में पोप कि तरह मानव निर्मित नहीं बल्कि स्वयं ईश्वर अवतार द्वारा स्थापित है। इस पद की परम्परा आदि गुरु शंकराचार्य ने आरम्भ की।
लेकिन उत्तराखण्ड के भाजपा के ही बदरी केदार मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने एक विडियो बयान जारी किया है इसमें वो स्वामी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के शंकराचार्य पर भी ही सवाल उठा कर उसे विवादस्पद कह रहे हैं ।
अपने भाषण में अजेंद्र अजय ने शंकराचार्य को किस तरह का आचरण और व्यवहार होना चाहिए ये पाठ भी पड़ा रहे हैं। उन पर आरोप लगा रहे हैं कि वो किसी राजनेता की तरह व्यवहार कर रहे हैं । आगे वो ये भी कह देते हैं की वो कांग्रेस के एजेंडे को आगे बढा रहे हैं।
एक तरफ प्रधानमंत्री जिस संत के पांव छू रहे हैं । वहीं उन्ही की पार्टी के दूसरे नेता उसी संत को कह रहे है कि उन्होने संत का आवरण पहना हुआ है । और वो खुद को बडा संत होने की घोषणा करते रहते हैं।
बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष को ये विडियो बना, बयान जारी करने की जरुरत इसलिए पड़ी क्योंकि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने केदारनाथ मंदिर में सोने की चोरी का मुद्दा उठा दिया । जिसके बाद राज्य सरकार और मंदिर समिती के लिए एक बार असमंजस में पड़ गई ।
शंकराचार्य ने अपने बयान में केदारनाथ में 230 किलो सोने के गायब होने पर सवाल उठाए। उस पूरे मामले की शुरुआत साल 2022 से होती है जहाँ मुम्बई के एक दानदाता बदरी केदार मंदिर समिति से संपर्क करते हैं और केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोने की प्लैट्स लगाने का अनुरोध करते हैं । कपाट बंद होने से ठीक तीन दिन पहले इस काम को पूरा कर लिया जाता है । और शीतकाल के लिए धाम के कपाट बंद हो जाते हैं । 2023 के जून महीने में जब धाम के कपाट खुल चुके होते है चार धाम महापंचायत के उपाध्यक्ष और केदारनाथ के पुरोहित संतोष त्रिवेदी एक विडियो जारी करते हैं अरबों रुपय के सोने घोटाले के आरोप लगाते है । और इसके दो दिन बाद एक और विडियो वायरल होता है जिसमें कुछ मजदूर गृभ गृह में काम करते दिखाई देते हैं जो सोने की पॉलिश लेकर आए थे ।
इसके बाद मामले ने तूल पकड़ा । और बदरी केदार मंदिर समिति की तरफ से ये बयान आता है कि सोने की मात्रा महज 23 किलो थी ना की 230 किलो।
अपने 5 मिनट के विडियो में अजेंद्र अजय स्वामी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से साक्ष्य पेश करने कोर्ट जाने की बात कर रहे हैं । लेकिन वो भूल रहे है राज्य में सरकार उनकी है वो मंदिर समीति के अध्यक्ष के नाते साक्ष्य उन्हें पेश करने चाहिए थे ।
इस पूरे मामले के 2023 में तूल पकडने के बाद धर्मस्व मंत्री सतपाल महराज ने एक जांच कमेटी गठित कर जांच की बात की थी । ये जांच गढवाल आयुक्त द्वारा की जानी थी
शंकराचार्य स्वामी अभिमुक्तेशवरानंद ने भी अपने बयान में इसका जिक्र किया था । लेकिन अपने जवाब में अजेंद्र अजय ने इस जांच का जिक्र तक नहीं किया । वो अपने इस विडियो में ये बता सकते थे कि ये जांच कहाँ तक पुहँची । जांच हो भी रही है या नहीं।
उन्हें अपने इस विडियो में इस बात का जवाब देना चाहिए जब पत्रकार 23 किलो सोने को 230 किलो सोना बता रहे थे । उस दौरान वो खुद कई चैनलों के कैमरों के आगे सोना दान की जानकारी दे रहे थे ।तभी उन्होने स्थति स्पष्ट क्यों नहीं कि । लगभग एक साल बाद जब इस मामले ने तूल पकड़ा तब वो प्रेस नोट के जरिओ अपनी सफाई देने पहुँचे ।
इस विडियो में अजेंद्र अजय ये कह रहे हैं कि मंदिर कि दिवारों पर सोना चढ़ाने का काम दानदाता द्वारा ही किया गया । मंदिर समीति और सरकार इसमें कहीं भी शामिल नहीं है। लेकिन सितंबर 2022 में प्रतिष्ठित अखबार हिंदू को उन्होने बताया कि एक फर्म को कार्य दिया गया है जिसने काशी विश्वनाथ और दक्षिण भारत के कई मंदिरों के गर्भगृह को सोने की परत से ढंका है। केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में रखी रजत की परत को सोने की परत से बदलने का काम उस फर्म को सौंपा गया है ।
अब आखरी और महत्तवपूर्ण सवाल अजेंद्र अजय ने अपने इस विडियो में शंकराचार्य से प्रमाण लाने की बात कही है । लेकिन उन्होने खुद इस विडियो में ये प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया कि 23 किलो सोना दान में मिला है । इसका कोई लिखित प्रमाण उनको दिखाना चाहिए था ।