देहरादून। हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि पर्यावरण को लेकर लोगों को जागरूक किया जा सके। इसके साथ ही इस दिन जगह-जगह पर पेड़ लगाए जाते हैं ताकि आने वाले समय में हमारी आने वाली पीढ़ी को कोई दिक्कत न हो। आज के दिन स्कूल, कॉलेज, ऑफिस और कई संस्थानों में कई तरह के कार्यक्रम कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। उत्तराखंड में भी विश्व पर्यावरण दिवस को लेकर कई कार्यक्रमों को आयोजन किया गया है। उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी लोगों से अपील की है कि वो सिंगल यूज प्लास्टिक का पूर्ण रूप से त्याग करें।
सीएम धामी ने की अपील
उत्तराखंड में पर्यावरण को बचाया जा सके, इसके लिए सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह से रोक लगाई जा रही है। वहीं, राज्य में अधिक से अधिक पौधा रोपण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनता के अपील है कि वो विश्व पर्यावरण दिवस पर संकल्प ले कि वर्षों से जो प्राकृतिक जल स्त्रोत हमें पानी दे रहे है, लेकिन आज वे सूखने की कगार पर पहुंच गए है, वो दोबार से रिचार्ज हो सके। इस दिशा में काम करें। पर्यावरण को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए जो भी हो सकता है, उस दिशा में हमें प्रयास करना चाहिए। पर्यावरण का सरंक्षण प्राथमिकता के आधार पर करना चाहिए।
साल 2023 में विश्व पर्यावरण दिवस की थीम
बता दें कि हर साल विश्व पर्यावरण दिवस नई थीम के साथ मनाया जाता है. इस साल 2023 में विश्व पर्यावरण दिवस की थीम प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान पर आधारित हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास
साल 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ में पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था। इसको लेकर स्टॉकहोम (स्वीडन) में पहला सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें पर्यावरण से होने वाले प्रदूषण पर चर्चा की गई है, जिसमें 119 देशों ने हिस्सा लिया था। उसके दो साल बाद से ही हर साल 5 जून 1974 से विश्व पर्यावरण दिवस मानने की शुरुआत हुई। तभी हर साल विश्व पर्यावरण दिवस के कार्यक्रम अलग-अलग देशों में होने लगे, जिसमें हर साल 143 देश भाग लेते है। भारत में 1986 को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ था था।